भोपाल गैस कांड के बाद वारेन एंडरसन की गिरफ़तारी और बाद में सरकारी हवाईजहाज से उसे भोपाल से दिल्ली और दिल्ली से अमेरिका सुरक्षित भेजने को कांग्रेस ने व्यवस्थागत खामी का नतीजा बताया है, एकदम सटीक बात, पता नहीं क्यों कांग्रेस की इस सनसनीखेज स्वीकारोक्ति पर मीडिया वालों या विपक्ष के कान खडे नहीं हुए, कहीं कोई सुगबुगाहट नहीं, कोई प्रतिक्रिया नहीं,
कांग्रेस ने सच ही कहा, अब आप शुरू से लें, भोपाल में दो और तीन दिसंबर की रात करीब 1 बजे गैस रिसी, सुबह पांच बजे एफआईआर दर्ज कर ली गई, इसमें पुलिस ने धारा 304 लगाई जिसमें कम से कम 10 साल कैद का प्रावधान है, लेकिन व्यवस्थागत खामी यहीं से शुरू हो गई, सरकार कांग्रेस की थी, केंद्र में भी और प्रदेश में भी, सबको पता था कि जो धारा एफआईआर में लग गई वह सबके गले पड जाएगी, एंडरसन के भी, और आगे भारत में होने वाले अमेरिकी निवेश के भी, सो सरकार ने आनन,फानन में धारा में जरूरी छेडछाड करवाई, यानी 304 के आगे एक छोटा सा ए और जोड दिया ताकि एंडरसन या यूनियन कार्बाइड के किसी अन्य अधिकारी को ज्यादा तकलीफ न पहुंचे, बकौल खुद अर्जुन सिंह, हम एंडरसन को परेशान नहीं करना चाहते थे, व्यवस्थागत खामी,
बात और आगे चलेगी इन खामियों के बारे में,
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